असम में बाढ़
असम में बाढ़ की स्थिति अत्यंत गंभीर बनी हुई है, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। लगातार भारी बारिश और नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण राज्य के कई हिस्सों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
प्रमुख आंकड़े
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प्रभावित लोग: लगभग 6.33 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं, जो 21 जिलों में फैले हुए हैं।
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मृत्यु संख्या: बाढ़ और भूस्खलन के कारण अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है।
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प्रभावित गांव: 1,506 गांवों में बाढ़ का प्रभाव देखा गया है।
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फसल क्षति: लगभग 14,739 हेक्टेयर कृषि भूमि बाढ़ के पानी में डूबी हुई है।
प्रमुख प्रभावित जिले
बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में श्रीभूमि, कछार, मोरीगांव, सोनितपुर, तिनसुकिया और हैलाकांडी शामिल हैं। इन जिलों में कई नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
बाढ़ से प्रभावित प्रमुख जिले (2025):
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धेमाजी (Dhemaji)
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लखीमपुर (Lakhimpur)
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मोरीगांव (Morigaon)
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नलबाड़ी (Nalbari)
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बरपेटा (Barpeta)
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बक्सा (Baksa)
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चिरांग (Chirang)
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दूबरी (Dhubri)
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दरंग (Darrang)
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बोंगाईगांव (Bongaigaon)
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कछार (Cachar)
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हैलाकांडी (Hailakandi)
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करीमगंज (Karimganj)
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तिनसुकिया (Tinsukia)
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डिब्रूगढ़ (Dibrugarh)
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गोलाघाट (Golaghat)
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श्रीभूमि (Sivasagar / Sibsagar)
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सोनितपुर (Sonitpur)
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कामरूप (Kamrup)
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कामरूप मेट्रो (Kamrup Metro)
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ग्वालपाड़ा (Goalpara)
प्रभाव का स्तर:
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सबसे ज्यादा नुकसान निचले इलाकों में हुआ है जहाँ ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
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कछार, मोरीगांव, बारपेटा और धेमाजी में राहत शिविरों में बड़ी संख्या में लोग शरण लिए हुए हैं।
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फसलें, सड़कें और पुल बाढ़ में बह गए या बर्बाद हो चुके हैं।
राहत और बचाव कार्य
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राहत शिविर: राज्य सरकार ने 165 राहत शिविर और 157 राहत वितरण केंद्र स्थापित किए हैं, जहाँ 31,212 से अधिक लोगों को आश्रय प्रदान किया गया है।
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बचाव दल: राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमें प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं।
असम में बाढ़ से बचाव और राहत कार्य तेजी से और व्यापक स्तर पर चल रहे हैं। राज्य सरकार, केंद्र सरकार, आपदा प्रबंधन एजेंसियाँ और सुरक्षा बल मिलकर बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद कर रहे हैं।
1. NDRF और SDRF की भूमिका:
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राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की कई टीमें राज्य के विभिन्न जिलों में तैनात हैं।
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राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) भी स्थानीय पुलिस और प्रशासन के साथ मिलकर राहत कार्य में लगी है।
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नावों और राफ्ट्स की मदद से लोग फंसे हुए इलाकों से निकाले जा रहे हैं।
जलस्तर वाले क्षेत्रों में राहत:
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बाढ़ से कटे हुए गांवों में नावों के जरिए खाद्य सामग्री, पीने का पानी और दवाइयाँ पहुंचाई जा रही हैं।
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कुछ जिलों में एयरलिफ्ट की तैयारी भी की गई है (यदि जलस्तर और बढ़ता है)।
2. राहत शिविरों की व्यवस्था:
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165 से अधिक राहत शिविर और 157 राहत वितरण केंद्र खोले गए हैं।
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अब तक 31,000 से अधिक लोग इन शिविरों में रह रहे हैं।
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शिविरों में खाने-पीने, दवा, साफ पानी और टॉयलेट की व्यवस्था की गई है।
3. निगरानी और चेतावनी प्रणाली:
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IMD (भारतीय मौसम विभाग) लगातार बारिश और जलस्तर पर निगरानी रख रहा है।
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राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) और जिला प्रशासन SMS और माइकिंग के ज़रिए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दे रहे हैं।
4. सरकार और प्रशासन की पहल:
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मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बाढ़ग्रस्त जिलों का दौरा किया और स्थिति की समीक्षा की।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुख्यमंत्री से बात कर हरसंभव सहायता का भरोसा दिया है।
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राज्य सरकार ने 24×7 कंट्रोल रूम स्थापित किए हैं जहाँ लोग मदद के लिए कॉल कर सकते हैं।
5. स्वास्थ्य सेवाएं:
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शिविरों में स्वास्थ्य विभाग की मोबाइल टीमें तैनात की गई हैं।
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मलेरिया, डायरिया और जलजनित रोगों से बचाव के लिए दवाइयाँ बाँटी जा रही हैं।
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पशुओं के लिए भी चिकित्सा सुविधा और चारा उपलब्ध कराया गया है।
6. हेल्पलाइन और संपर्क:
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आपदा के समय के लिए राज्य सरकार ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं।
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जिलेवार कंट्रोल रूम नंबर भी सक्रिय हैं।
मौसम पूर्वानुमान और चेतावनी
भारतीय मौसम विभाग ने असम के कई जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताई है। धुबरी, दक्षिण सलमारा मानकाचर, ग्वालपारा और कोकराझार जिलों के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया गया है, जबकि 11 अन्य जिलों के लिए ‘येलो अलर्ट’ जारी किया गया है|
सरकार की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से फोन पर बात कर बाढ़ की स्थिति की जानकारी ली और केंद्र सरकार की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
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